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भारतीय शिक्षा व्यवस्था

भारतीय शिक्षा सबसे नीच और जघन्यतम शिक्षा व्यवस्थाओं में से एक है। इसका प्रमाण हमे अपने नेता और मंत्रियों को देखकर मिलता है। भारत में हो रहे भ्रष्टाचार को देख कर मिलता है। हर साल लाखों बच्चे विज्ञान में उत्तीर्ण होते हैं पर भारत को आज तक विज्ञान में कोई नोबल पुरस्कार क्यों नहीं मिला? भारतीय शिक्षा व्यवस्था में कोई नैतिकता नहीं सिखाया जाता। भारत में एक अच्छे छात्र होने का मतलब है कि वोह लड़का/लड़की अच्छे से रट्टा मार सकता है। भारत में शिक्षा का मतलब है 98% मार्क्स लाना।100924_indiameal

भारत में शिक्षा का मतलब है अपने नोटबुक पे हर नोट साफ सुथरे तरीके से लिखना, चाहे स्कूलों में ठीक से पढाया जाता हो या नहीं। इसके प्रमाण भी हमें घोटालों से ही मिलते हैं, जहाँ कागज़ों में करोड़ों रूपए खर्चे हो जाते हैं, पुल बन जाता है, सडकें ठीक हो जाती हैं, सर्वशिक्षा अभियान के तहत गरीब बच्चों को मुफ़्त प्राथमिक शिक्षा दी जाती है, मुफ़्त मिड-डे मील योजना से गरीब बच्चों का पेट भरता है, मुफ़्त किताबें, मुफ़्त स्कूल-युनिफोर्म मिल जाते हैं, सब हो जाता है! पर असलियत ये होती है कि सारा पैसा शिक्षकों के जेब में ही चला जाता है! आज तरक्की के इस दौर में भारत इतना पीछे क्यों है? क्यों ज़्यादातर बच्चे परीक्षाओं से घबराते हैं? क्यों बच्चे अपने रोजमर्रा के जीवन से साथ अपने स्कूल को जोड़ नहीं पाते?

हमारे देश के बच्चों को बस यही सिखाया जाता है फ्ल्यूएन्ट इंग्लिश बोलो, जो बच्चा अच्छे से इंग्लिश बोल पाता है वो सबसे समझदार बच्चा है, और बाकि सारे गधे! क्यों?

– क्योंकि इंग्लिश एक ग्लोबल लेंग्वेज है।

– आपको पता है इंग्लिश किन देशों में बोला जाता है? नीचे एक मानचित्र दिया हुआ है जिसपे नीले रंग में देश ही सिर्फ अंग्रेज़ी बोलते हैं। और हल्के नीले रंग दर्शाते हैं उन देशों को जहाँ अंग्रेज़ी सिर्फ अधिकारिक भाषा ही है।Anglospeak

 

-अंग्रेज़ी विज्ञान की भाषा है।

– बिलकुल नहीं, प्राचीन भारत, ग्रीस, में भी विज्ञान के चर्चे होते थे, पर वो अंग्रेज़ी में नहीं होते थे। अगर आप आज के युग को देखें तो शायद सिर्फ भारत, ऑस्ट्रेलिया, यूके और अमरीका में ही विज्ञान की पढाई अंग्रेज़ी में होती है। अगर अंग्रेज़ी विज्ञान की भाषा होती तो जापान तो विज्ञान के दौड़ में सबसे पीछे रहता और भारत सबसे आगे क्योंकि जापान में जापानी के सिवा दूजा कोई भी भाषा नहीं चलती।

न्यू-योर्क टाइमस पे एक निबन्ध दिया हुआ था http://www.nytimes.com/2010/03/24/world/asia/24test.html जिसपे एक पाठक ने कुछ यूँ टिप्पणी किया था।

I was talking to an Indian-trained theoretical physicist recently and he said he hates the Indian education system, at least in physics. I can attest to this. I’ve look at some of the texts they use and it’s a very different culture. It’s all about calculating and little understanding. I have a book of about 1200 physics problems (Irodov) which I’ve heard the students who want to into the area read and solve every problem. The only problem is that physics is nothing like that textbook. That textbook is a bunch of archaic difficult mechanics problems that you get in first year physics. Sure they are fun to do every now and then again to brush up on a certain set of problem solving skills, but it hardly teaches you physics. In fact, beyond first year I’ve never really done those types of problems again. They hardly teach you anything about physics at all, just how to do a bunch of boring mechanics problems. Actual physics is much much different and relies little on these skills. I don’t deny they aren’t important, but they just aren’t what physicists do all day long.

Now why did I mention the Indian theorist? Well he said he hated physics because of this very mindset! It wasn’t until he got a different text (Halliday and Resnick I believe) and it changed his viewpoint. Physics was more then just applying the same principles again and again to increasingly obtuse block and mass systems! Being an expert at these problems doesn’t make you a good physicist.

Now this is just my experience with the small subset of the Indian education system for physics. To me it is detrimental to the education of physicists and I think it is for the worse.

Colin
Ottawa
March 24th, 2010
4:50 pm
http://community.nytimes.com/comments/www.nytimes.com/2010/03/24/world/asia/24test.html

आगे और भी निबन्ध लिखता रहूँगा अगर वक्त मिले तो, अब तक के लिए इतना ही रहने दो 🙂

 

इटली!

marin-435इटली, दुनिया के सबसे धूर्त और बदमाशों का आशियाना! जिन दो अपराधियों का शक्ल आपको दिख रहा है, ये खूंखार आतंकी हैं जिन्होंने दो भारतीय मछुआरों का हत्या कर दिया था। कोई विदेशी मूल का अगर भारत देश के लोगों पे हमला करता है (जैसे कि कसाब ने किया था), तो इसे देश के खिलाफ़ हमला मान लिया जाना चाहिए था। और इनको मौत की सज़ा दे देनी चाहिए थी। पर इनकी किस्मत तो देखो… सोनिया के राज्य में उन्हें इटली जाकर अपना वोटाधिकार प्रयोग करने का अनुमति है, क्रिसमस मनाने का का अनुमति है। और जब वे भारत आना ना चाहें तो इस बात का भरोसा देकर उन्हें भारत लाया जाता है कि उन्हें मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी! इससे बेहतर हम सोच भी क्या सकते हैं, एक ऐसे देश में जहाँ एक देशद्रोही राज करती हैं?

कुछ और खून उबालने वाली बातें: “The Hindu” के एक रिपोर्ट के अनुसार

“He* said he had met the arrested marines on Saturday and conveyed to them that Italy continued to be with them. His country was satisfied with the manner in which the two marines were treated by the police here. “That’s the way we too would have treated any serving military personnel from India had they been arrested in Italy for some reason,” he said.”

—www.thehindu.com/news/national/kerala/sad-at-not-meeting-valentines-kin-mistura/article2960751.ece

*यहाँ “he” का मतलब है इटली के डेप्युटी विदेश मंत्री, स्टेफन डी मिस्तुरा।

जब कि सारे दुनिया को पता है इटली के जेलों में भारतीय मूल के लोगों पे अत्याचार की घटनाएँ। मुझे कुछ लिंक्स मिले हैं जहाँ से आपको समझने में कुछ और फायदा मिल सकता है http://to.ly/kZKg और http://to.ly/kZKf पे जा कर आपको इसके कुछ सबूत मिल सकते हैं।

नीचे का तस्वीर देखेंगे तो सब समझ जाएँगे।

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अगर हिन्दी भाषा नौकरों के बोलने की भाषा है और हिन्दुस्तान नौकरों का इलाका है तो उन जैसे महान लोग हमारे नौकर-इ-स्तान में का नौकरों की सेवा कर रही हैं? शायद इटालियन नौकरों के नौकरों की बोलने वाली भाषा होगी। एक और बात जानकारी के हिसाब से रख लीजिए रोम(इटली की राजधानी) में दुर्गा पूजा का मनाए जाने की अनुमति नहीं है। इस विषय में आप और पढ़ सकते हैं http://bharatabharati.wordpress.com/2009/10/01/in-rome-durga-is-not-welcome-kanchan-gupta/

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सिर्फ यही नहीं… इटली ने तो भारत या भारतीय लोगों के प्रति अपना रुख बहुत ही कठोर कर रखा है। आपने शायद रोमा लोगों के बारे में सुन रखा होगा या कहीं पढ़ रखा होगा। शायद आपको मालूम होगा कि हिटलर ने जैसे रोमाओं का उत्पीड़न किया था, जिस तरह से अत्याचर कर रोमाओं को मौत की नींद सुलाता था। आज शायद हिटलर नहीं रहा पर हिटलर जैसे लोग आज भी हैं और रोमा लोग आज भी बेसहारा जीवन व्यतीत करते हैं, खासकर इटली, फ़्रांस और स्वीडन जैसे देशों में उनका जीना अब हराम बन चुका है। उन्हें अक्सर इटालियन पुलिस सताती है और उन्हें समाज में रहने लायक जगह और घर तक मुहैय्या नहीं कराया जाता। नीचे RT.com के एक रिपोर्ट का एक अंश पढ़िये तो पता चलेगा कुछ। रोमा समुदाय असलियत में भारतीय मूल के हैं।

रूसी वेबसाइट RT.com के अनुसार

“The majority of the so-called gypsies in Italy are illegal aliens. They have been declared criminals by the state, but among them there are Italian and other EU nationals whose only crime is living this way.

“We hope we can get a house and a right to receive child benefits. We’re here to give our children an education, so they can have a future,” says one Romani tent camp inhabitant.”

—http://rt.com/news/no-dolce-vita-for-romani-in-italy/

समझे आप… ये है इटली का असलियत! दुनिया में किसी देश से मुझे सबसे ज़्यादा नफ़रत है तो वो इटली ही है। शायद आपको भी अब मेरे जैसा ही इटली से नफ़रत होने लगा होगा…शायद।

भारत और सेक्युलरिजम

भारत में दुनिया भर से लोग आए, इस देश पे हमला चलाया, घुसपैठ किये, जंग किए… सल्तनत स्थापित किया, अत्याचार किये जुर्म किये, जबरन धर्मान्तरण करवाया, महिलाओं का बलात्कार किया। देशप्रेमियों को फांसी पे लटकाया, दुष्ट चाल चलकर राजाओं को परास्त किया। भारत के लोग सहते रहे। आज़ाद भारत को धर्म के आधार पर बँटवारा किया गया, पाकिस्तान बन गया मुस्लिम राष्ट्र और भारत को बनना था हिन्दू राष्ट्र, पर भारत के नेताओं ने इसे एक सेक्युलर राष्ट्र बना डाला। आज भारत में सेक्युलरिजम का मतलब है मुस्लिम लोगों का आरक्षण, वे कोई गलत काम करें तो उनका कोई दोष नहीं, और हम देशप्रेमी दो बातें ट्विटर पे चर्चा कर लें देश के बुरे हालात के बारे में तो हमें जेलों में बंद कर दिया जाता है!

ये कहाँ का सेक्युलरिजम है बताइए?

क्या आपको लगता है भारत सचमे एक आज़ाद देश है? जिस देश को बनाया गया था एक हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए उसे सेक्युलर कैसे घोषित किया जा सकता है? भारत में सबसे ज़्यादा जुर्म मुसलमान करते हैं! आतंकवाद की बात करें, तो देश का हर आतंकी मुसलमान है, मस्जिदों तथा मदरसों में हर जगह आतंकवाद का शिक्षा दिया जाता है। भारत के हर जिस जगह पे मुसलमानों का दबदबा है, हर जगह में आतंवाद की समस्याएँ हद पर कर रही हैं। कुछ दिनों पहले तो ऐसे खबरें भी आई थी कि कर्नाटक में कहीं किसी मुसलमान ने पाकिस्तान का झंडा फेहरा दिया, अफज़ल के फाँसी के बाद कश्मीर में मुसलमानों ने हमारे राष्ट्रध्वज तिरंगा को जला दिया! इससे साफ साफ पता चल जाता है कि भारत में रहने वाला हर मुसलमान देशद्रोही है, और उनको आरक्षण देना देश के दुश्मनों को आरक्षण देने के समान है। अकबरउद्दीन जनाब का तो कहना ये भी था कि वे अपने आप को सम्भाल नहीं पाएँगे अगर बंग्लादेशी घुसपैठियों को वापस बंगलादेश भेज दिया गया। उन्होंने तो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी को कत्ल करने का भी कसम कहा रखा था!

आज आप सेक्युलर देशों की बात कीजिए, भारत के सिवा हर वो देश जो सेक्युलर है उसमे मुसलमान या अल्पसंख्यकों की आबादी 1% से भी कम है। भारत ऐसा देश नहीं है! भारत की पावन भूमी पे हिन्दूधर्म, बौद्ध धर्म, सीख धर्म तथा महावीर जैन प्रवचन दे गए हैं इस देश का संस्कृति बहुत समृद्ध व पुरातन है, और हमे इसे बनाए रखना है ना कि एक विदेशी धर्म को हमारे देश में आरक्षण देना है। मुसलमान सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनिया में हर जगह मिलते हैं, और ऐसा नहीं है कि वे कोई पिछड़ी जाती हैं जो कि सिर्फ इस देश में ही हैं, वे इस दुनिया से इतनी जल्दी खतम नहीं होने वाले। और तो और वे अब भारत में अल्पसंख्यक नहीं रहे, बल्कि वे देश के जमीन में पल बस कर देश से हर रोज गद्दारी किये जा रहे हैं। बेहतर होगा अगर सरकार भारत के दूसरे पिछड़ी जातियों को आरक्षण दे, अल्पसंख्यक होने के सुविधाएँ प्रदान करे। एक साँप को अगर आप पल पास कर बड़ा करें, तो वो बाद में आपको ही काट जाएगा। भारत में इस्लाम अवैध रूप से फैलाया गया। अत्याचारी व क्रूर सुल्तानों ने भारत में जबरन इस्लाम का प्रचार किया। जिन्होंने इस्लाम कबूलने से इंकार किया उनके सर कलम कर दिए गए, फाँसी पे लटका दिए गए, आँखों की रौशनी छीन लिया गया, और हाथ काट दिए गए! ऐसे अत्याचारियों के धर्म का भारत में कोई जगह नहीं होना चाहिए था!

क्या दुनिया का कोई मुस्लिम देश सेक्युलर है? नहीं! तुर्की भी पूरी तरह से नहीं! मलेशिया, इन्डोनेशिया, बंगलादेश, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, इरान जिस तरह से हिन्दुओं पे अत्यचार होता है उस अत्यचार को अगर मुसलमानों पे न करो, पर कम से कम उनके लिए कोई आरक्षण की माँग तो ना करो! और अकबरउद्दीन ओवैसी जैसे देशद्रोही को फाँसी पे लटकाने का प्रयास करो अगर अपने आप को भारतीय मानते हो तो!

देश की समस्याएँ

भारत में कई समस्याएँ घिरी हुई हैं, एक तरफ़ कश्मीर पे पाकिस्तानी जिहादियों का आक्रमण चलता ही जा रहा है, कभी किसी जवान का सर काट के ले जाता है तो कभी घुसपैठ, तो कभी आतंकियों को पाकिस्तान अधिशासित कश्मीर में ट्रेनिंग देकर भारत भेजा जाता है। तो हैदराबाद में अकबरउद्दीन ओवैसी खुलेआम भाषण देते हैं कि वे मुसलमान भारत के सभी हिन्दुओं को मारने के काबिल हैं, और मीडिया इस बात को छिपा देती है। पूर्व भारत की ओर तो और भी मुसीबतें हैं, बंगलादेश से मुसलमान घुसपैठ लगातार असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा मेघालय में हो रहे हैं अवैध रूप से। भारत से अवैध रूप से भारत के प्राकृतिक सम्पदा को चीन बंगलादेश और म्यांमार में भेज दिया जाता है। कुछ दिनों पहले तो खबर सुर्ख़ियों में था कि कर्नाटक में कहीं किसी ने पाकिस्तान का झण्डा फेहराया है! तो हैदराबाद में तिरंगे को खुलेआम जलाया गया ओवैसी के समर्थकों ने उसके गिरफ्तारी पर।

हमारे प्रधानमंत्री अपने आप को एक बड़े अर्थशास्त्री मानते हैं, पर देखने को तो यही मिलता है कि देश में गरीबों की संख्या घटने के बजाय घटती ही जा रही है। किसान हर साल आत्महत्या करते हैं, क्योंकि वे अपना कर्ज़ अदा नहीं कर पाते हैं, और प्रधानमंत्री जी कर्ज़ माफ़ी की बात किस मूँह से करते हैं? देश में हर दिन कई लोग भूखे सोते हैं और देखिए तमाशा एक तरफ़ अनाज खुले में सड़ता है क्योंकि सरकार के पास पैसे नहीं हैं इनको रखने लायक जगह बनाने के लिए, तो दूसरी ओर करोड़ों खर्चा किये जाते हैं एक आतंकी तो बिरयानी खिलने के लिए!

देश की अर्थव्यवस्था दिन के दिन कमज़ोर पडती जा रही है, और देश के अर्थशास्त्री विदेशी निवेश को बढ़ाकर देश को लूटने दे रहे हैं। जहाँ एक ओर कई व्यापारियों का व्यवसाय बर्बाद हो रहा है, वहीं विदेशी लुटेरे अमीर बनते जा रहे हैं। देश के लोगों को रात बिताने को छत नहीं मिल रहा है तो कोई शाहरुख दुबई में करोड़ों का मकान बना रहा है।

देश का पैसा विदेशियों को सौंपने में भारत में रह रहे जनता का भी योगदान है, बीएसएनएल के बजाय वोडाफोन जैसे विदेशी कम्पनियों पे भरोसा करेंगे, उनको पैसे देंगे। और करें भी तो क्या भला हमारी अपंग सरकार, भारतीय संचार निगम के सेवा में कोई खास उन्नयन ही नहीं करती। अब इन बातों को समझाएं भी तो किसे? जनता को? उस जनता को जो तरक्की से ज़्यादा क्रिकेट के पीछे दीवाना है? उस जनता को जो सचिन तेन्दुलकर को भारत रत्न देने को उतावला है?

एक तरफ़ तो देखिए मिड-डे मील के योजना से कई शिक्षकों को फायदा मिल रहा है, वेतन के साथ उनको अधिक रूपए मिल रहे हैं बोनस के तौर पर जो कि असलियत में दिए गए थे बच्चों को मुफ़्त अच्छा पोषक खाना खिलाने के लिए। सबकुछ ऐसा ही चलता है, इनके खिलाफ़ आवाज़ उठाता कौन है? कोई उठाता भी है तो इंटरनेट पर सिर्फ! और तो और इंटरनेट पर भ्रष्टाचार के बारे में बातें करो तो पुलिस पीछे पड़ जाती है, पर खुलेआम ओवैसी जैसा भाषण दो तो सारे देशवासियों को भी पता नहीं चलता! दूसरी तरफ़ देखिए ओडिसा, छत्तीसगढ़, जहाँ पे विदेशी कम्पनियों के हाथों थाम दिया गया भारत के प्राकृतिक सम्पदा को!

अन्ना हज़ारे? वो गांधीवादी? अनशन करके कोई दुनिया नहीं बदल सकता! देश को अगर बदलना है तो हमें कोई जंग छेड़ना होगा। ऐसा जंग जिससे कि इस भ्रष्टाचारी सरकार के सभी नेताओं को उनकी सही सज़ा दी जा सके। ताकि सभी सिर्फ भारतीय उत्पादों का ही प्रयोग करे, ताकि सभी अपने मातृभाषा में पढाई कर सकें। देशद्रोहियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाया जा सके।  कोई भी विदेशी बैंकों में देश का पैसा अवैध रूप से ना रख पाए, गरीबी हटाई जा सके और देश का हर इंसान पढ़-लिख पाए, वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी हो पाए। देश आगे बढ़ पाए!

देश का इज्ज़त

“अतिथि देवो भवः” – इसी के साथ आमिर खान टीवी पे आते हैं कि  छोटी छोटी गलतियाँ ना करो और विदेशियों को हैरान ना करो, ताकि वे हमारे देश में बार बार आएँ| पर हमारे देश के लोगों को इन बातों को मानने का फुर्सत कहाँ? कहीं किसी स्विज़ महिला का रेप हो जाता है तो कहीं कोई अपने बुरी आदतों से देश का नाम डुबाता है!

अब पहनो सभी भारतीय अब शर्म का ताज! इस विडियो को देखें…

Hindistan gezisinde isyan :)) by meliheris

कुछ समझ में आया?

कुछ तुर्की आए थे Hindistan(भारत) पे, वहाँ वे एक बस पे सवार हुए और लोग उस बस में कुछ बातों के लिए झगड़ने लगे, इस बात से बेखबर कि कुछ विदेशी उनके बस पे बैठे हुए थे जो इस तरह का तमाशा देख कर हँस रहे थे और विडियो बना रहे थे!!!

अब समझो कहाँ मिट्टी में मिल जा रही है देश की इज्ज़त!

प्यार में क्या बुराई?

प्यार में बुराई होता है, लडको का लड़कियों से बातें करना, तथा लड़कियों का लडको से बातें करना गुनाह होता है| प्यार मुहोब्बत करने से समाज के सामने अपना मूँह कैसे दिखाओगे? छिः उस घर की लड़की तो एक लड़के के पीछे पागल हो चुकी है, पता नहीं उन्हें शर्म भी आता है कि नहीं, आजकल के बच्चे कितने बिगड़ गए हैं|

ऐसी बातों से परेशान होना पड़ता है आजकल के युवाओं को| उन्हें समझ नहीं आता आखिर प्यार करने में गुनाह क्या होता है, अक्सर उन्हें छुपके से पार्क में कहीं परिवारवालों के नजरों से दूर प्यार की बातें करनी पडती है| पर पार्क में भी अक्सर लोगों को यह बुरा नज़र आता है तथा पुलिसवाले उन्हें सताने लगते हैं|

समाज के लिए प्यार करना एक गुनाह है| परिवारवाले अक्सर ऐसा चाहते हैं कि उनके बेटे-बेटियां अपने माँ-बाप के पसन्द से शादी करे और अपना पूरा ज़िन्दगी बिताए! वे चाहते हैं अपने बेटे -बेटियों की शादी धूम -धाम से कराना किसी ऐसे लड़की/लड़के जो माँ-बाप के पसन्द का हो|

ऐसा क्यों?

इसका एक वजह हो सकता है की पुराने ज़माने में लड़कों से लड़कियाँ उनता मेलजोल नहीं रखती थीं| जिसके वजह से लड़के अपने खुद से पसन्द नहीं कर पाते थे, जिसके वजह से ये परम्परा बन चुका होगा कि दूल्हा और दुल्हन को माँ-बाप ही पसन्द कर देते थे| शादी तब बस एक जश्न का मौका था, जैसे कि आज हम दिवाली या होली मनाते हैं, उसी तरह का कुछ| और जिन लोगों का इस परम्परा के तौर पर शादी हुआ वे लोग “परम्परा” को बजाय रखने के नाम पर ऐसा चलते रहे, और कुछ और लोगों को इस बात से जलन भी होता था कि उनके बेटे-बेटियां प्यार कर पा रहे हैं जो वो खुद नहीं कर पाए, इसीलिए वे भी प्यार पर प्रतिबंध लगाते रहे| और ये परम्परा ऐसे ही चलता रहा|

पर आज का समाज बदल चुका है, लड़के लडकिया एक ही स्कूलों में महाविद्यालयों में पढते हैं, और प्रकृति का यह नियम है कि एक एक लिंग दूसरे के प्रति आकर्षित होता है(जैसा कि हम दूसरे प्राणियों में देखते हैं), इसमें गलत कोई बात नहीं है| इलेक्ट्रौन – प्रोटोन से आकर्षित होता है, चुम्बकीय उत्तर और दक्षिण एक दूजे से आकर्षित होते है, नर और नारी एक दूजे से आकर्षित होते ही हैं| अगर आप उन्हें रोक के रखेंगे तो ये असामान्यता होगा| अगर आपको लगता है कि नर-नारी के बीच कोई आकर्षण नहीं होना चाहिए तो आप किस आधार पे धूम-धाम से शादी करवाने की बात करते हैं?

पुरानी बातें छोड़िये, प्यार पे फ़तवा मत लगाइए, आप तालिबानी नहीं है, और प्यार करना कोई विदेशी संस्कृति नहीं है| “एनवायरनमेंट डे” का शुरुवात पश्चिम के देशो में किया गया था पर्यावरण को बचाने के लिए, अब आप अगर उस दिन को एक पेड़ लगाएँ तो आप ने कोई बुरा काम नहीं किया है| अगर कोई वेलेन्टाइनस डे को प्यार करता है तो वो पश्चिमी नहीं बन जाता, भले ही इस दिन का शुरुवात रोमन साम्राज्य में हुआ था|

ट्विट्टर में हिन्दी हैशटैग्स

ट्विटर पे अगर हैश(#) लिखने के बाद अगर कोई शब्द लिखें तो वो एक लिंक में बदल दिया जाता है जिसपे क्लिक करने से उस शब्द से सर्च(खोज) किया जाता है, और खोज के परिणामों में दूसरे ट्वीट्स आते हैं जिनपे उसी शब्द के आगे # लगाया गया हो| पर ये बहुत शर्मनाक है, कि ट्विटर पे हिन्दी या देवनागरी शब्दों के आगे अगर हैश लगाया जाए तो उस शब्द को लिंक में बदल नहीं दिया जाता! अंग्रेज़ी और चीनी के बाद हिन्दी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, पर इसके पश्चात भी हिन्दी को ट्विटर में कोई कदर ही नहीं किया गया है, जबकि अरबी, हिब्रीऊ, जापानी, लिथुआनियाई जैसे भाषाओँ के लिपियों में हैशटैग्स काम करते हैं!

क्या इसको आप पश्चिम का भारत के प्रति भेदभाव नहीं कहेंगे, जबकि ट्विटर में हज़ारों भारतीय डिवेलपर, सफ्टवेर इंजीनियर काम करते हैं! खून तो शायद आपका तब उबलने लगेगा जब आपको मालूम पड़ेगा कि ट्विटर पे कोई भी भारतीय भाषा के लिपि में लिखे पाठ को हैशटैग नहीं बनाया जा सकता!

इनके अलावा सिर्फ ग्रीक और अर्मेनियाई ही ऐसे विदेशी भाषा हैं जिन्हें हैशटैग नहीं बनाया जा सकता!

वेलेन्टाइन-डे का विरोध क्यों?

आज 14 फरवरी का दिन बोले तो प्यार के इजहार का दिन। आज के दिन कई प्रेमी जोड़े एक-दूसरे को कुछ ना कुछ सौगात देकर अपने प्यार का इजहार करेंगे। कुछ लोग साथ जीने मरने की कसमें भी खाएँगे। संत वेलेन्टाइन के बलिदान के उपलक्ष्य में ये दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

आज हर मंदिर एवं हर बगीचे में आपको हाथों में हाथ डाले हुए प्रेमी दिखाई देंगे। उनको रंगे हाथोपकड़ने के लिए कुछ संगठन भी आज अपने हाथों में लठ लेकर और अपनी मूछों को ताव देकर हर चौराहे पर खड़े नजर आएँगे।

यह लोग दिवस को पश्विमी संस्कृति से जुड़ा हुआ त्योहार मानते हैं। उनका दिमाग हमेशा विरोध का झंडा लहराकर सिर्फ एक ही बात करता है कि यह त्योहार भारतीय संस्कृति की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, इसलिए उसका भारत में स्वीकार नहीं करना चाहिए लेकिन वह भूल जाते हैं कि उनके बेटे या बेटियाँ भी इस त्योहार का खुले मन से स्वागत करते हैं।

मैं यहाँ पर पश्विमी संस्कृति का समर्थन नहीं कर रहा हूँ मैं तो सिर्फ इन लोगों को समय के साथ अपना तालमेल स्थापित करने का केवल आग्रह कर रहा हूँ। इस दिन का विरोध करने वाले आइने के सामने खड़े होकर एक बार खुद से सवाल करें कि इस दिन का विरोध वो क्यों कर रहे हैं? वो कौन से ठोस कारण और तर्क हैं, जिनके आधार पर इस प्यार भरे दिन का विरोध किया जा रहा है?

  हाँ उनको पूरी स्वतंत्रता है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर इस दिन होने वाली छेड़छाड़ पर रोक लगाएँ लेकिन जो प्रेमी किसी मंदिर में या किसी बगीचे में आराम से बैठकर प्यार की दो बातें कर रहे हैं कृपया उनको बख्शने का कष्ट करें।      

हमारे संविधान में लिखा है कि भारत एक स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ पर सबको अपनी तरह जीवन जीने की स्वतंत्रता है। फिर यह संगठन ऐसे प्रेमी जोड़ों को परेशान क्यों करते हैं? वह क्यों भूल जाते हैं कि इस प्रकार विरोध कर वह सिर्फ एक दिन के लिए ही मीडिया की सुर्खियों में आएँगे लेकिन सोचो उन्हें कितने प्रेमियों की बददुआएँ झेलनी पड़ेंगी जो असल में सच्चा प्यार करते हैं। जो इस त्योहार को सिर्फ त्योहार के तौर पर न लेकर अपने जीवन का एक अमूल्य हिस्सा मानते हैं।

ऐसे संगठनों को चाहिए कि इस दिन अगर कोई असल में मर्यादाएँ पार कर रहा है, उसको एक अलग जगह पर जाकर प्यार से समझाएँ क्योंकि गुस्से से अक्सर मामले बिगड़ जाते हैं। हाँ उनको पूरी स्वतंत्रता है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर इस दिन होने वाली छेड़छाड़ पर रोक लगाएँ लेकिन जो प्रेमी किसी मंदिर में या किसी बगीचे में आराम से बैठकर प्यार की दो बातें कर रहे हैं कृपया उनको बख्शने का कष्ट करें।

वेलेन्टाइन-डे का विरोध क्यों?जनकसिंह झाला  (वेबदुनिया डॉट कॉम)