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भारत और सेक्युलरिजम

भारत में दुनिया भर से लोग आए, इस देश पे हमला चलाया, घुसपैठ किये, जंग किए… सल्तनत स्थापित किया, अत्याचार किये जुर्म किये, जबरन धर्मान्तरण करवाया, महिलाओं का बलात्कार किया। देशप्रेमियों को फांसी पे लटकाया, दुष्ट चाल चलकर राजाओं को परास्त किया। भारत के लोग सहते रहे। आज़ाद भारत को धर्म के आधार पर बँटवारा किया गया, पाकिस्तान बन गया मुस्लिम राष्ट्र और भारत को बनना था हिन्दू राष्ट्र, पर भारत के नेताओं ने इसे एक सेक्युलर राष्ट्र बना डाला। आज भारत में सेक्युलरिजम का मतलब है मुस्लिम लोगों का आरक्षण, वे कोई गलत काम करें तो उनका कोई दोष नहीं, और हम देशप्रेमी दो बातें ट्विटर पे चर्चा कर लें देश के बुरे हालात के बारे में तो हमें जेलों में बंद कर दिया जाता है!

ये कहाँ का सेक्युलरिजम है बताइए?

क्या आपको लगता है भारत सचमे एक आज़ाद देश है? जिस देश को बनाया गया था एक हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए उसे सेक्युलर कैसे घोषित किया जा सकता है? भारत में सबसे ज़्यादा जुर्म मुसलमान करते हैं! आतंकवाद की बात करें, तो देश का हर आतंकी मुसलमान है, मस्जिदों तथा मदरसों में हर जगह आतंकवाद का शिक्षा दिया जाता है। भारत के हर जिस जगह पे मुसलमानों का दबदबा है, हर जगह में आतंवाद की समस्याएँ हद पर कर रही हैं। कुछ दिनों पहले तो ऐसे खबरें भी आई थी कि कर्नाटक में कहीं किसी मुसलमान ने पाकिस्तान का झंडा फेहरा दिया, अफज़ल के फाँसी के बाद कश्मीर में मुसलमानों ने हमारे राष्ट्रध्वज तिरंगा को जला दिया! इससे साफ साफ पता चल जाता है कि भारत में रहने वाला हर मुसलमान देशद्रोही है, और उनको आरक्षण देना देश के दुश्मनों को आरक्षण देने के समान है। अकबरउद्दीन जनाब का तो कहना ये भी था कि वे अपने आप को सम्भाल नहीं पाएँगे अगर बंग्लादेशी घुसपैठियों को वापस बंगलादेश भेज दिया गया। उन्होंने तो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी को कत्ल करने का भी कसम कहा रखा था!

आज आप सेक्युलर देशों की बात कीजिए, भारत के सिवा हर वो देश जो सेक्युलर है उसमे मुसलमान या अल्पसंख्यकों की आबादी 1% से भी कम है। भारत ऐसा देश नहीं है! भारत की पावन भूमी पे हिन्दूधर्म, बौद्ध धर्म, सीख धर्म तथा महावीर जैन प्रवचन दे गए हैं इस देश का संस्कृति बहुत समृद्ध व पुरातन है, और हमे इसे बनाए रखना है ना कि एक विदेशी धर्म को हमारे देश में आरक्षण देना है। मुसलमान सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनिया में हर जगह मिलते हैं, और ऐसा नहीं है कि वे कोई पिछड़ी जाती हैं जो कि सिर्फ इस देश में ही हैं, वे इस दुनिया से इतनी जल्दी खतम नहीं होने वाले। और तो और वे अब भारत में अल्पसंख्यक नहीं रहे, बल्कि वे देश के जमीन में पल बस कर देश से हर रोज गद्दारी किये जा रहे हैं। बेहतर होगा अगर सरकार भारत के दूसरे पिछड़ी जातियों को आरक्षण दे, अल्पसंख्यक होने के सुविधाएँ प्रदान करे। एक साँप को अगर आप पल पास कर बड़ा करें, तो वो बाद में आपको ही काट जाएगा। भारत में इस्लाम अवैध रूप से फैलाया गया। अत्याचारी व क्रूर सुल्तानों ने भारत में जबरन इस्लाम का प्रचार किया। जिन्होंने इस्लाम कबूलने से इंकार किया उनके सर कलम कर दिए गए, फाँसी पे लटका दिए गए, आँखों की रौशनी छीन लिया गया, और हाथ काट दिए गए! ऐसे अत्याचारियों के धर्म का भारत में कोई जगह नहीं होना चाहिए था!

क्या दुनिया का कोई मुस्लिम देश सेक्युलर है? नहीं! तुर्की भी पूरी तरह से नहीं! मलेशिया, इन्डोनेशिया, बंगलादेश, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, इरान जिस तरह से हिन्दुओं पे अत्यचार होता है उस अत्यचार को अगर मुसलमानों पे न करो, पर कम से कम उनके लिए कोई आरक्षण की माँग तो ना करो! और अकबरउद्दीन ओवैसी जैसे देशद्रोही को फाँसी पे लटकाने का प्रयास करो अगर अपने आप को भारतीय मानते हो तो!

हिन्दुओं पे अत्याचार!

सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति इन दिनों काफी दयनीय होती जा रही है। खासकर उन देशों में और भी बदतर हो गयी है जहां वे अल्पसंख्यक हैं। दक्षिण एशिया के देशों में रह रहे हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इनमें जबरन मतांतरण, यौन उत्पीड़न, धार्मिक स्थलों पर आक्रमण, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति हड़पना आम बात हो गयी है।

भारत से बाहर रह रहे हिंदुओं की आबादी लगभग 20 करोड़ है। बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ फिजी, मलेशिया, त्रिनिदाद-टौबेगो ऐसे देश हैं जहां अच्छी-खासी संख्या में हिन्दू रहते हैं।  हाल के वषरें में हिंदू कुछ देशों में राजनीतिक स्तर पर भी हिंदुओं के साथ भेदभाव की शिकायतें सामने आई है।

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट 2011 की है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 1947 में कुल आबादी का 25 प्रतिशत हिंदू थे। अभी इनकी जनसंख्या कुल आबादी का मात्र 1.6 प्रतिशत रह गई है। वहां गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। 24 मार्च, 2005 को पाकिस्तान में नए पासपोर्ट में धर्म की पहचान को अनिवार्य कर दिया गया। स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है। जनजातीय बहुल इलाकों में अत्याचार ज्यादा है। इन क्षेत्रों में इस्लामिक कानून लागू करने का भारी दबाव है। हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन मतांतरण का दबाव डाला जाता है।

इसी तरह बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़े हैं। बांग्लादेश ने वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न (एमेंडमेंट) बिल 2011 को लागू किया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे सरकारी संरक्षण भी मिल रहा है।

इसके अलावा हिंदू इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं। उनके साथ मारपीट, दुष्कर्म, अपहरण, जबरन मतांतरण, मंदिरों में तोडफोड़ और शारीरिक उत्पीड़न आम बात है। अगर यह जारी रहा तो अगले 25 वषरें में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी ही समाप्त हो जाएगी। वहीं बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी देश कहे जाने वाले भूटान में भी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहा है। 1990 के दशक में दक्षिण और पूर्वी इलाकेसे एक लाख हिंदू अल्पसंख्यकों और नियंगमापा बौद्धों को बेदखल कर दिया गया। ईसाई बहुल देश फिजी में हिंदुओं की आबादी 34 प्रतिशत है। स्थानीय लोग यहां रहने वाले हिंदुओं को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। 2008 में यहां कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया।

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार का भी जिक्र है। पाकिस्तान ने कश्मीर के 35 फीसदी भू-भाग पर अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है। 1980 के दशक से यहां पाकिस्तान समर्थित आतंकी सक्रिय हैं। कश्मीर घाटी से अधिकांश हिंदू आबादी का पलायन हो चुका है। तीन लाख से ज्यादा कश्मीरी हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। कश्मीरी पंडित रिफ्यूजी कैंप में बदतर स्थिति में रहने को मजबूर हैं। यह चिंता की बात है कि दक्षिण एशिया में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन चंद मानवाधिकार संगठनों की बात छोड़ दें तो वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

स्रोत: http://hindi.ibtl.in/news/international/2023/article.ibtl#disqus_thread