मैं अपने स्कूल में बुलींग का शिकार होता था. अपने अनुभवों से मैं कह सकता हूँ कि ये चीज़ सचमें खतरनाक है| ये आसानी से दिखाई नहीं पड़ता, क्योंकि बच्चे अक्सर इसे छुपाके रखते हैं| बच्चों को अक्सर ये कहने में शर्म का अनुभव होता है कि उन्हें स्कूलों में तंग किया जाता है, इसीलिए बच्चे अक्सर इसे छुपाते हैं अपने माता-पिता से| कई प्रयासों के बाद भी उन्हें इस खतरे से निपटने का कोई ज़रिया नहीं दिखता| ऐसे हालत में वे बेसहारा महसूस करना शुरू करते हैं| उसके बाद उनको जिंदगी से बेहतर मौत लगता है| भारत में आत्महत्या करने वाले लोगों में एक बड़ी संख्या युवाओं की है, जिनमे कुछ सुइसाइड नोटस पे तो पढाई के अत्यंत बोझ के दोषी ठहराया जाता है, तो कहीं पे किसी इन्तेहाँ में फैल हो जाने को, पर किसी को पता नहीं लगता कि पढाई का अत्यंत बोझ या परीक्षाओं में फैल करने से किसी को आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाना पड़ता, बल्कि उसके बाद के नतीजों को सोच कर ही छात्र आजकल आत्महत्या करते हैं|
इसके अलावा स्कूलों तथा कालिजों में रैगिंग भी एक कर्ण है छात्रों के मौत और आत्महत्या का| इतनी सारी बातें सरकार को पता होते हुए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता और कोई सख्त कानून नहीं बनाये जाते| माइक्रोसॉफ्टसे बताया है:-
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक भारत में 50 फीसदी से ज़्यादा बच्चे इंटरनेट परसाइबर बुलिंग का शिकार होते हैं!to.ly/kRsj
— अनजान अजनबी(@proudIndian96) March 28, 2013
समझ रहे हैं आप… भारत के 50% से ज़्यादा इंटरनेट उपयोगकारी बच्चे साइबर बुल्यींग का शिकार बनते हैं! आंकड़े चौंका देने वाले ज़रूर हैं, पर अगर कोई ठोस कानून होता देश में तो इसे कुछ हद तक रोका जा सकता था| अमरीका तथा यूरोप के देशों में इसके खिलाफ़ आवाजें उठ रही हैं पर भारत में इन सब के खिलाफ़ कोई ठोस कदम कोई नहीं उठा रहा| पर भारत दुनिया में ऐसा कोई आवाज़ नहीं उठ रहा| युवा हमारे देश का भविष्य हैं और हमें उनके हित के बारे में सोचना चाहिए| हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया के कुछ सबसे ज़्यादा आत्महत्याएँ भारत में होती हैं|
सरकार इसके लिए कोई कदम नहीं उठा रही है चाहे आत्महत्या का वजह किसानों का कर्ज ना चुका पाना हो या फिर स्कूलों में बुल्यींग की शिकायतें हों| कुछ भी हो, मेरे ब्लॉग पे इस पेज को बनाने का मतलब जागरूकता फैलाना था ताकि आप सब लोग कोई कदम उठा सकें, नाकि प्रसिद्धि प्राप्त करना|