प्यार में क्या बुराई?

प्यार में बुराई होता है, लडको का लड़कियों से बातें करना, तथा लड़कियों का लडको से बातें करना गुनाह होता है| प्यार मुहोब्बत करने से समाज के सामने अपना मूँह कैसे दिखाओगे? छिः उस घर की लड़की तो एक लड़के के पीछे पागल हो चुकी है, पता नहीं उन्हें शर्म भी आता है कि नहीं, आजकल के बच्चे कितने बिगड़ गए हैं|

ऐसी बातों से परेशान होना पड़ता है आजकल के युवाओं को| उन्हें समझ नहीं आता आखिर प्यार करने में गुनाह क्या होता है, अक्सर उन्हें छुपके से पार्क में कहीं परिवारवालों के नजरों से दूर प्यार की बातें करनी पडती है| पर पार्क में भी अक्सर लोगों को यह बुरा नज़र आता है तथा पुलिसवाले उन्हें सताने लगते हैं|

समाज के लिए प्यार करना एक गुनाह है| परिवारवाले अक्सर ऐसा चाहते हैं कि उनके बेटे-बेटियां अपने माँ-बाप के पसन्द से शादी करे और अपना पूरा ज़िन्दगी बिताए! वे चाहते हैं अपने बेटे -बेटियों की शादी धूम -धाम से कराना किसी ऐसे लड़की/लड़के जो माँ-बाप के पसन्द का हो|

ऐसा क्यों?

इसका एक वजह हो सकता है की पुराने ज़माने में लड़कों से लड़कियाँ उनता मेलजोल नहीं रखती थीं| जिसके वजह से लड़के अपने खुद से पसन्द नहीं कर पाते थे, जिसके वजह से ये परम्परा बन चुका होगा कि दूल्हा और दुल्हन को माँ-बाप ही पसन्द कर देते थे| शादी तब बस एक जश्न का मौका था, जैसे कि आज हम दिवाली या होली मनाते हैं, उसी तरह का कुछ| और जिन लोगों का इस परम्परा के तौर पर शादी हुआ वे लोग “परम्परा” को बजाय रखने के नाम पर ऐसा चलते रहे, और कुछ और लोगों को इस बात से जलन भी होता था कि उनके बेटे-बेटियां प्यार कर पा रहे हैं जो वो खुद नहीं कर पाए, इसीलिए वे भी प्यार पर प्रतिबंध लगाते रहे| और ये परम्परा ऐसे ही चलता रहा|

पर आज का समाज बदल चुका है, लड़के लडकिया एक ही स्कूलों में महाविद्यालयों में पढते हैं, और प्रकृति का यह नियम है कि एक एक लिंग दूसरे के प्रति आकर्षित होता है(जैसा कि हम दूसरे प्राणियों में देखते हैं), इसमें गलत कोई बात नहीं है| इलेक्ट्रौन – प्रोटोन से आकर्षित होता है, चुम्बकीय उत्तर और दक्षिण एक दूजे से आकर्षित होते है, नर और नारी एक दूजे से आकर्षित होते ही हैं| अगर आप उन्हें रोक के रखेंगे तो ये असामान्यता होगा| अगर आपको लगता है कि नर-नारी के बीच कोई आकर्षण नहीं होना चाहिए तो आप किस आधार पे धूम-धाम से शादी करवाने की बात करते हैं?

पुरानी बातें छोड़िये, प्यार पे फ़तवा मत लगाइए, आप तालिबानी नहीं है, और प्यार करना कोई विदेशी संस्कृति नहीं है| “एनवायरनमेंट डे” का शुरुवात पश्चिम के देशो में किया गया था पर्यावरण को बचाने के लिए, अब आप अगर उस दिन को एक पेड़ लगाएँ तो आप ने कोई बुरा काम नहीं किया है| अगर कोई वेलेन्टाइनस डे को प्यार करता है तो वो पश्चिमी नहीं बन जाता, भले ही इस दिन का शुरुवात रोमन साम्राज्य में हुआ था|

ट्विट्टर में हिन्दी हैशटैग्स

ट्विटर पे अगर हैश(#) लिखने के बाद अगर कोई शब्द लिखें तो वो एक लिंक में बदल दिया जाता है जिसपे क्लिक करने से उस शब्द से सर्च(खोज) किया जाता है, और खोज के परिणामों में दूसरे ट्वीट्स आते हैं जिनपे उसी शब्द के आगे # लगाया गया हो| पर ये बहुत शर्मनाक है, कि ट्विटर पे हिन्दी या देवनागरी शब्दों के आगे अगर हैश लगाया जाए तो उस शब्द को लिंक में बदल नहीं दिया जाता! अंग्रेज़ी और चीनी के बाद हिन्दी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, पर इसके पश्चात भी हिन्दी को ट्विटर में कोई कदर ही नहीं किया गया है, जबकि अरबी, हिब्रीऊ, जापानी, लिथुआनियाई जैसे भाषाओँ के लिपियों में हैशटैग्स काम करते हैं!

क्या इसको आप पश्चिम का भारत के प्रति भेदभाव नहीं कहेंगे, जबकि ट्विटर में हज़ारों भारतीय डिवेलपर, सफ्टवेर इंजीनियर काम करते हैं! खून तो शायद आपका तब उबलने लगेगा जब आपको मालूम पड़ेगा कि ट्विटर पे कोई भी भारतीय भाषा के लिपि में लिखे पाठ को हैशटैग नहीं बनाया जा सकता!

इनके अलावा सिर्फ ग्रीक और अर्मेनियाई ही ऐसे विदेशी भाषा हैं जिन्हें हैशटैग नहीं बनाया जा सकता!

वेलेन्टाइन-डे का विरोध क्यों?

आज 14 फरवरी का दिन बोले तो प्यार के इजहार का दिन। आज के दिन कई प्रेमी जोड़े एक-दूसरे को कुछ ना कुछ सौगात देकर अपने प्यार का इजहार करेंगे। कुछ लोग साथ जीने मरने की कसमें भी खाएँगे। संत वेलेन्टाइन के बलिदान के उपलक्ष्य में ये दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

आज हर मंदिर एवं हर बगीचे में आपको हाथों में हाथ डाले हुए प्रेमी दिखाई देंगे। उनको रंगे हाथोपकड़ने के लिए कुछ संगठन भी आज अपने हाथों में लठ लेकर और अपनी मूछों को ताव देकर हर चौराहे पर खड़े नजर आएँगे।

यह लोग दिवस को पश्विमी संस्कृति से जुड़ा हुआ त्योहार मानते हैं। उनका दिमाग हमेशा विरोध का झंडा लहराकर सिर्फ एक ही बात करता है कि यह त्योहार भारतीय संस्कृति की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, इसलिए उसका भारत में स्वीकार नहीं करना चाहिए लेकिन वह भूल जाते हैं कि उनके बेटे या बेटियाँ भी इस त्योहार का खुले मन से स्वागत करते हैं।

मैं यहाँ पर पश्विमी संस्कृति का समर्थन नहीं कर रहा हूँ मैं तो सिर्फ इन लोगों को समय के साथ अपना तालमेल स्थापित करने का केवल आग्रह कर रहा हूँ। इस दिन का विरोध करने वाले आइने के सामने खड़े होकर एक बार खुद से सवाल करें कि इस दिन का विरोध वो क्यों कर रहे हैं? वो कौन से ठोस कारण और तर्क हैं, जिनके आधार पर इस प्यार भरे दिन का विरोध किया जा रहा है?

  हाँ उनको पूरी स्वतंत्रता है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर इस दिन होने वाली छेड़छाड़ पर रोक लगाएँ लेकिन जो प्रेमी किसी मंदिर में या किसी बगीचे में आराम से बैठकर प्यार की दो बातें कर रहे हैं कृपया उनको बख्शने का कष्ट करें।      

हमारे संविधान में लिखा है कि भारत एक स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ पर सबको अपनी तरह जीवन जीने की स्वतंत्रता है। फिर यह संगठन ऐसे प्रेमी जोड़ों को परेशान क्यों करते हैं? वह क्यों भूल जाते हैं कि इस प्रकार विरोध कर वह सिर्फ एक दिन के लिए ही मीडिया की सुर्खियों में आएँगे लेकिन सोचो उन्हें कितने प्रेमियों की बददुआएँ झेलनी पड़ेंगी जो असल में सच्चा प्यार करते हैं। जो इस त्योहार को सिर्फ त्योहार के तौर पर न लेकर अपने जीवन का एक अमूल्य हिस्सा मानते हैं।

ऐसे संगठनों को चाहिए कि इस दिन अगर कोई असल में मर्यादाएँ पार कर रहा है, उसको एक अलग जगह पर जाकर प्यार से समझाएँ क्योंकि गुस्से से अक्सर मामले बिगड़ जाते हैं। हाँ उनको पूरी स्वतंत्रता है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर इस दिन होने वाली छेड़छाड़ पर रोक लगाएँ लेकिन जो प्रेमी किसी मंदिर में या किसी बगीचे में आराम से बैठकर प्यार की दो बातें कर रहे हैं कृपया उनको बख्शने का कष्ट करें।

वेलेन्टाइन-डे का विरोध क्यों?जनकसिंह झाला  (वेबदुनिया डॉट कॉम)

हिन्दुओं पे अत्याचार!

सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति इन दिनों काफी दयनीय होती जा रही है। खासकर उन देशों में और भी बदतर हो गयी है जहां वे अल्पसंख्यक हैं। दक्षिण एशिया के देशों में रह रहे हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इनमें जबरन मतांतरण, यौन उत्पीड़न, धार्मिक स्थलों पर आक्रमण, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति हड़पना आम बात हो गयी है।

भारत से बाहर रह रहे हिंदुओं की आबादी लगभग 20 करोड़ है। बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ फिजी, मलेशिया, त्रिनिदाद-टौबेगो ऐसे देश हैं जहां अच्छी-खासी संख्या में हिन्दू रहते हैं।  हाल के वषरें में हिंदू कुछ देशों में राजनीतिक स्तर पर भी हिंदुओं के साथ भेदभाव की शिकायतें सामने आई है।

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट 2011 की है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 1947 में कुल आबादी का 25 प्रतिशत हिंदू थे। अभी इनकी जनसंख्या कुल आबादी का मात्र 1.6 प्रतिशत रह गई है। वहां गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। 24 मार्च, 2005 को पाकिस्तान में नए पासपोर्ट में धर्म की पहचान को अनिवार्य कर दिया गया। स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है। जनजातीय बहुल इलाकों में अत्याचार ज्यादा है। इन क्षेत्रों में इस्लामिक कानून लागू करने का भारी दबाव है। हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन मतांतरण का दबाव डाला जाता है।

इसी तरह बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़े हैं। बांग्लादेश ने वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न (एमेंडमेंट) बिल 2011 को लागू किया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे सरकारी संरक्षण भी मिल रहा है।

इसके अलावा हिंदू इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं। उनके साथ मारपीट, दुष्कर्म, अपहरण, जबरन मतांतरण, मंदिरों में तोडफोड़ और शारीरिक उत्पीड़न आम बात है। अगर यह जारी रहा तो अगले 25 वषरें में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी ही समाप्त हो जाएगी। वहीं बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी देश कहे जाने वाले भूटान में भी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहा है। 1990 के दशक में दक्षिण और पूर्वी इलाकेसे एक लाख हिंदू अल्पसंख्यकों और नियंगमापा बौद्धों को बेदखल कर दिया गया। ईसाई बहुल देश फिजी में हिंदुओं की आबादी 34 प्रतिशत है। स्थानीय लोग यहां रहने वाले हिंदुओं को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। 2008 में यहां कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया।

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार का भी जिक्र है। पाकिस्तान ने कश्मीर के 35 फीसदी भू-भाग पर अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है। 1980 के दशक से यहां पाकिस्तान समर्थित आतंकी सक्रिय हैं। कश्मीर घाटी से अधिकांश हिंदू आबादी का पलायन हो चुका है। तीन लाख से ज्यादा कश्मीरी हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। कश्मीरी पंडित रिफ्यूजी कैंप में बदतर स्थिति में रहने को मजबूर हैं। यह चिंता की बात है कि दक्षिण एशिया में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन चंद मानवाधिकार संगठनों की बात छोड़ दें तो वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

स्रोत: http://hindi.ibtl.in/news/international/2023/article.ibtl#disqus_thread

नया ब्लॉग!

मेरे पुराने दोस्तों के लिए!

मेरे नए ब्लॉग पे आपका स्वागत है, मैंने अपने पुराने ब्लॉग को छोड़ दिया हैं, और उउसमें मैं और नए पोस्ट्स लिखने वाला नहीं हूँ, पर अगर आपको उसके पोस्ट्स पढ़ना हो तो आप पढ़ सकते हैं वहाँ से, हालाँकि मैं अपने पुराने ब्लॉग से पोस्ट्स को यहाँ लाने की कोशिश कर रहा हूँ!

अगर आप मेरे बारे में पहले नहीं जानते थे:

मैं एक गुमनाम इंसान हूँ! मैं कोई पेशेवर लेखक नहीं, एक छात्र हूँ, नरेंद्र मोदी जी का पक्षधर हूँ, राजीव दीक्षित जी के सोच का सम्मान करता हूँ, सबसे बुरे व्यवहार पाने के बावजूद भी मैं दूसरों से अच्छा व्यवहार करता हूँ! मैं एक कम्प्युटर गीक भी हूँ, छोटे-मोटे प्रोग्रम्मिंग कर लेता हूँ, मैं कहाँ रहता हूँ ये शायद मुझे भी नहीं पता, मैं इटंरनेट में सर्वत्र विराजमान हूँ 😀 , मेरा मतलब इंटरनेट के लगभग हर सोशल मीडिया वेबसाइट में मेरा एक प्रोफाइल ज़रूर है, हर इंस्टेंट मेस्सेंजर में मेरा अकाउन्ट हैं, पर मैं अपना पहचान छुपाके ब्लॉग या ट्वीट पोस्ट करना पसंद करता हूँ, क्या है कि इससे लिखने पे कोई प्रतिबंध नहीं रहता कि कहीं कोई फिर से मेरा मज़ाक न बना ले! मेरे रुचियों में पदार्थविज्ञान सबसे ऊपर है! मैं अपने दुखों को बयाँ करने के लिए इस ब्लॉग का सहारा लेने वाला हूँ और उन्हें समझने के लिए पदार्थविज्ञान के सूत्रों का!

मेरा एक और सोच है:

किसी ने आपका उपहास किया है तो ये न समझ लें कि आप बुरे हैं,

अपितु ये समझें कि समाज बिगड़ चुका है!