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क्रिकेट और देशभक्ति की भावना

क्रिकेट हमारे देश का राष्ट्रिय खेल जैसा बन चुका है, कहने को तो लोग इसके लिए दीवाने हैं हर तरफ़! वर्ल्ड कप या कोई टूर्नामेंट तो जैसे त्यौहार, और उसमे अगर इन्डिया टीम जीत गयी तो क्या कहने और… दिवाली ही शुरू हो जाती है!

हमारे देश में कुछ लोग क्रिकट को राष्ट्रप्रेम के साथ जोड़ते हैं, अगर आप उनमें से नहीं हैं तो शायद आपको मालूम नहीं पर यही हकीकत है!

कुछ लोगों के खयालात कुछ ऐसे हैं कि वे सोचते हैं अगर वे अपने पुरे शरीर पे तिरंगे के रंग ओढ़ लें और भारत – पाक क्रिकेट के मैच पे भारत के लिए नारे लगाएँ तो शायद भारत जीत जाए और शायद यही है देशभक्ति, अब सरहद पे जाके सीना तानने का दम नहीं तो शायद ऐसा करना ही देशभक्ति कहलाएगा!

लोगों के इन मुर्ख ख़यालों पे हँसी आता है| एक बार मैंने अपने एक दोस्त से पूछा कि उसे क्रिकेट में इतना क्या मज़ा आता है कि वो इन हरकतों को करता है, तो जवाब में उसने बताया, ” देख यार, हमारा देश तो कहीं का नहीं रहा, न हमारा देश टेक्नोलॉजी में आगे है, ना क्म्युनेकेशन सिस्टम अच्छा है, हमारे नेता लोगों ने तो देश को लूट लिया है, और गरीबी और भुखमरी के साथ साथ हमारे देश के ज़्यादातर लोग तो अनपढ़ ही हैं! ना हमारा देश अमरीका, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन जैसा ताकतवर है! तो इस हाल में देश का नाम अगर रौशन करना है तो एक ही ज़रिया बचता है, क्रिकेट , सिर्फ इसी के मैदान में भारत कुछ दम दिखा पाता है, इसलिए अगर हमार इण्डिया टीम को सपोर्ट करेंगे तो भारत के खिलाडियों के लिए ये एनकरेजमेन्ट  होगा ताकि वे देश का नाम और भी रौशन कर पाएँ!”

अब आप ही बताएँ इसे मूर्खता ना कहेंगे तो क्या कहेंगे? क्रिकेट को मैं बस एक लॉटरी के खेल जैसा ही समझता हूँ| क्रिकेट असलियत में अंग्रेज़ों का खेल है, वाही अंग्रेज़ जिन्होंने हमारे देश पे दो सौ से भी ज़्यादा साल राज किया| क्रिकेट जैसे खेलों से ही उन्होंने भारत के राजाओं को पराजय दिया और उन्हें अंग्रेज़ों के सामने हार मानना पड़ा| तो आज हमारे लिए ज़रूरत था कि हम आज़ाद भारत पे क्रिकेट को बहिष्कार करें| पर देखिए नेताओं से लेकर अभिनेता तक, सभी क्रिकेट के आगे हार मान जाते हैं!

IPL जैसे टूर्नामेंट पे करोड़ो खर्चा किये जाते हैं विदेशी खिलाडी खरीदने के लिए! विदेशी खिलाडियों को करोड़ों रूपयों से खरीदा जाता है! सरल भाषा में कहें तो भारत से करोड़ों (खून पसीने से कमाए गए) रूपए विदेशी खिलाडी ले जाते हैं! क्या इन पैसों से प्रगति के काम नहीं किये जा सकते थे? क्या इन पैसों से भूखे लोगों को मुफ़्त की दो वक्त की रोटी नहीं दिलाई जा सकती थी? क्या इन पैसों से भारत भी सैनिक शक्ति नहीं बढा सकता था अमरीका, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन की तरह?

मान लीजिए आज भारत-पाक का एक मैच है, जिसका मेज़बान पाकिस्तान बना है| भारत से खिलाडी गए पाकिस्तान, वीज़ा पाने के लिए तथा वहाँ पांच सितारे होटल पे ठहरने के लिए उन्हें भारत के पैसे पाकिस्तानियों के हाथों पे सौपने पड़ेंगे| भारत के क्रिकेट फैन भी वहाँ जाएँगे मैच को लाइव स्टेडियम पे बैठ कर देखने के लिए, तो उन्हें भी पैसे चुकाने होंगे| इन्हीं पैसों से पाकिस्तान हथियार खरीदेगा, आतंकियों को ट्रेनिंग देगा, और भारत पे हमला बोलेगा, भरत के जवानों के सर काट ले जाएगा, जहाँ हमारे हज़ारों किसान आत्महत्या करेंगे क्योंकि वे अपने कर्ज को चुका नहीं पाए, हज़ारों लोग भूखे सोएँगे, और लोग टीवी पे नज़र जमाए देश के विद्युत का खर्चा करेंगे, उन्ही विद्युत से ये टीवी चलेगा जिनसे भारत में प्राद्योगिकी बढाया जा सकता था!

अब हुई देशभक्ति?